प्रिय मित्र, आज, बाइबल यूहन्ना 14:16 में कहती है, ‘‘वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे।’’ बाइबल कहती है कि ‘वह एक और दिलासा देनेवाला है।’ वह कोई अलग परमेश्वर नहीं है। परमेश्वर पुत्र, परमेश्वर पिता और परमेश्वर पवित्र आत्मा सभी एक ही हैं।

यह दिलासा देनेवाला कौन है? वह परमेश्वर, पवित्र आत्मा है। बाइबल 1 कुरिन्थियों 6:19 में कहती है, तुम्हारा शरीर पवित्र आत्मा का मंदिर है। और यह पवित्र आत्मा आपको वरदान के रूप में दिया गया है। आप अपने नहीं हैं। आपका शरीर एक मंदिर है जिसमें परमेश्वर रहता है। यह सुनना कितना सुकून देनेवाला है। परमेश्वर हमारे अंदर रहता है। यह पहला सुकून है जो वह देता है।

जब वह हमारे अंदर रहता है तो वह क्या करता है? पवित्र आत्मा के माध्यम से जो हमारे अंदर रहता है, जैसा कि रोमियों 5:5 में है, वह हमारे दिलों में अपना प्यार उंडेलता है, वह भी भरपूर प्यार! हाँ, प्रिय मित्र, उसका प्यार वह हमारे अंदर बैठता है और हमें अपने प्यार से शांत करता है। वह, पवित्र आत्मा, हमारे हृदय में विराजमान रहता है और अपने प्रेम से हमें शांत करता है, सपन्याह 3:17 कहता है, और वह हमारे ऊपर गाकर आनन्दित होता है। 

एक माँ अपने छोटे बच्चे के साथ क्या करती है? वह अपने बच्चे को गोद में लेकर उसके लिए प्रेम से गाती है। इसी तरह, प्रभु हमारे लिए बड़े प्रेम से गाकर आनन्दित होता है। हाँ, प्रभु हमें एक माँ की तरह ही सांत्वना देता है। जैसा कि यशायाह 66:13 में बाइबल कहती है, जैसे माँ अपने बच्चे को शांति देती है, वैसे ही मैं तुम्हें शांति दूँगा। और 2 कुरिन्थियों 1:3 में बाइबल कहती है, वह सब प्रकार की शांति देने वाला परमेश्वर है। वचन 4 में बाइबल कहती है, वह हमारे सब क्लेशों में हमें शांति देता है। 

आज भी, प्रभु की शांति आप पर आए। आपके प्रति अपने प्रेम के कारण, वह ऐसा करता है। जब हम कहते हैं, मैं अपने क्लेशों के बीच में प्रार्थना करना भी नहीं जानता, तो पवित्र आत्मा जो आप में है, आपके लिए प्रार्थना करेगा। बाइबल रोमियों 8:26 में कहती है, इसी रीति से आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए; परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है। यह वह शांति है जो हमें परमेश्वर में मिलती है। मैंने इसे कई बार अनुभव किया है। मैं अपने दिल में दुख के साथ प्रभु के पास जाती थी। लेकिन फिर, जब प्रभु मुझे पवित्र आत्मा से भर देते हैं, तो मेरी प्रार्थना के बाद, मैं अपने दिल में दुख के बजाय खुशी का अनुभव करती हूं। मेरी आत्मा में बहुत शांति होती है। और मुझे लगता कि परमेश्वर मेरे अंदर एक शांतिदाता के रूप में है। यही वह शांति है जो परमेश्वर हमें देता है जब हम उससे प्रार्थना करते हैं। यदि आपके जीवन में परेशानियाँ हैं, तो शांति पाने के लिए किसी पुरुष या महिला के पास मत जाएं। परमेश्वर के पास जाएं। वह आपकी निर्बलता में आपकी मदद करता है। एक बार, जब मैं बहुत उदास थी, मैं परमेश्वर से प्रार्थना कर रही थी, हे प्रभु, किसी तरह मुझे अपनी पवित्र आत्मा से भर दें। प्रभु ने एक मधुर, शांत आवाज़ में कहा, मेरी बच्ची, सो जाओ, सुबह उठो और अपने पति के साथ प्रार्थना करो। मैं तुम्हें अपनी आत्मा से भर दूँगा। ठीक वैसे ही जैसे उसने कहा था, अगली सुबह, प्रभु ने हम दोनों को, मेरे पति और मुझे, अपनी आत्मा से भर दिया, और उसने हमें अलग-अलग तरह की भाषाएँ दीं। हमारी प्रार्थना के बीच, मैंने यीशु को आमने-सामने देखा। मैंने उसे सम्पर्ण प्रेम में देखा। जब मैंने उसे देखा, तो मैं उसकी आँखों में एक माँ का प्यार देख सकती थी। यीशु को देखने के बाद, मेरा सारा दुख मुझसे दूर हो गया। परमेश्वर ने हमारी सभी परेशानियों और क्लेशों में सांत्वना देने के लिए एक और दिलासा देनेवाला भेजा है। आज भी, प्रभु आपके हृदय को अपने प्रेम, अपनी आत्मा से भर दे।

प्रार्थना:
प्रेमी स्वर्गीय पिता, मैं प्रार्थना करती हूँ कि आपका प्रेम पवित्र आत्मा की शक्ति के माध्यम से मेरे हृदय में प्रवाहित हो। आप संकट के समय में मेरे सहायक हैं, हर दुःख में मेरे दिलासा देनेवाले प्रभु हैं। प्रभु, मैं अपना सारा दर्द और पीड़ा आपको सौंपती हूँ-मुझे चंगा करें और आपकी शांति देनेवाली उपस्थिति मेरी आत्मा को भर दे। मुझे शांति के किसी अन्य स्रोत की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आप अकेले ही मेरे लिए पर्याप्त हैं। मेरे दुखों को खुशी में बदल दें, प्रभु। जैसे आप मुझे सांत्वना देते हैं, वैसे ही मुझे दूसरों को सांत्वना देने के लिए उठने में मदद करें, अपना प्रेम उनके हृदय में डालें जैसा आपने मेरे हृदय में डाला है। मेरे बोझ को उठाने और अपनी आत्मा के ताज़ा स्पर्श के लिए धन्यवाद। मैं आपकी शांति में विश्राम करती हूँ, यह जानते हुए कि आप हमेशा मेरे साथ हैं। यीशु के नाम में, मैं प्रार्थना करती हूँ। आमीन।